रिपोर्ट –राजेंद्र सिंह
युवा विकास समिति के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र कुमार मिश्रा जी ने बताया कि अप्रैल में शैक्षिक सत्र की शुरुआत होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरु हो गई थी। स्कूल धड़ल्ले से कापी किताबों की बिक्री के साथ ही फीस भी बढ़ा चुके हैं। अफसरों ने निजी स्कूलों के दुकान बनने पर कार्रवाई की घुड़की दी थी, लेकिन न कोई जांच हुई और न कार्रवाई। इससे जुलाई शुरु होते ही स्कूलों में फिर से सामग्री बेचने का काम जारी है।1 अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरु होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरु हो गई थी। शासन ने 10 फीसदी से अधिक फीस न बढ़ाने का निर्देश जारी किया था, लेकिन स्कूलों ने अपनी सुविधा और दो सालों के कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मनमानी फीस बढ़ा दी। इसके साथ ही निजी स्कूल कापी किताबों के साथ यूनीफार्म, टाई बेल्ट तक स्कूलों से ही बेच रहे हैं। कुछ स्कूल जांच की लपेट में न आ जाएं इसके लिए दुकान सेट किए हैं, एक दुकान के अलावा उनके स्कूल में चलने वाली किताबें दूसरी किसी दुकान में नहीं मिलतीं हैं। संगठन प्रमुख संजय दत्त द्विवेदी कहना है कि बड़ी संख्या में स्कूलों ने बेसिक शिक्षा परिषद से कक्षा 8 तक की मान्यता ले रखी है। इसमें हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम दोनों की मान्यता है। मान्यता के साथ ही परिषद की ओर से पाठ्यक्रम और पुस्तकें भी निर्धारित हैं, लेकिन स्कूल संचालक खुद अपना सिलेबस तय करके अपनी सुविधा के अनुसार प्रकाशकों से पुस्तकें छपवाकर उनकी मनमानी कीमत निर्धारित करके उससे बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। जिला अध्यक्ष कंचन मिश्रा जी ने बताया कि शिक्षकों की योग्यता और वेतन का भी मानक नहीं इन स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता के कोई मानक तय नहीं है। यहां कम शैक्षिक योग्यता वाले अप्रशिक्षित युवक-युवतियों को शिक्षण कार्य में लगाया जाता है। इससे इस तरह के शिक्षकों को कम वेतन देकर अधिक मुनाफा कमा लेते हैं। इस कारण इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। जल्द जिला प्रशासन द्वारा प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक न लगाई गई तो संगठन बड़ा आंदोलन करेगा इस मौके पर नगर उपाध्यक्ष सुशील अग्निहोत्री नगर अध्यक्ष आफताब रूपम मिश्रा लीगल एडवाइजर विकास श्रीवास्तव , सुशील मिश्रा, सनी श्रीवास्तव, अमन दीक्षित , अमित सिंह. …
