
परमात्मा विश्राम स्वरूप ,तेज स्वरूप तथा सर्वत्र समान रूप से व्यापक हैं -स्वामी स्वात्मानंद
दिगंबर आश्रम असनी के परमहंस संत स्वामी स्वात्मानंद जी महाराज ने गजियापुर में भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर प्रवचन देते हुए कहा कि हम सभी को सर्व समर्थ परमात्मा के चरणों में चित्त देकर निश्चिंत हो जाना चाहिए क्योंकि परमात्मा के सानिध्य में दुख रहता ही नहीं है परमात्मा विश्राम स्वरूप ,तेज स्वरूप तथा सर्वत्र समान रूप से व्यापक हैं । देवताओं के कष्ट निवारण के लिए परमात्मा ने युक्ति बताई कि राक्षसों से संघर्ष न करो – मैत्री करो और सभी मिलकर सागर मंथन करो। उससे प्राप्त अमृत आपकी रक्षा करेगा जिससे अजर – अमर हो जाओगे। भगवान विष्णु ने वामन का अवतार धारण कर राजा बलि को बांधा राजा बलि ने भी भगवान विष्णु के विश्व रूप (बामन अवतार) का दर्शन किया । भगवान का दर्शन करने के लिए सभी को राजा बलि की भांति सर्व त्याग करना अनिवार्य है। शुक्राचार्य द्वारा अपने शिष्यों, राक्षसों को मृत संजीवनी विद्या द्वारा जीवित करने का कथानक गुरु की अहेतुकी कृपा का उदाहरण है।स्वामी जी ने अष्टम स्कंध में ही वामन ,मोहिनी अवतार ,मत्स्यावतार ,हयग्रीव अवतार आदि का वर्णन कर नवम स्कंध में वैवस्वत मनु के चरित्र पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात इच्छ्वाकु वंश के महापुरुषों – मांधाता ,मुचकुंद, सगर, गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने वाले भागीरथ, हरिश्चंद्र,रघु, दिलीप,अज ,दशरथ और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम आदि प्रतापी राजाओं की कथा को विस्तार देते हुए यदुवंश का भी वर्णन करते हुए योगेश्वर श्री कृष्ण के दिव्य जन्म का मनोरम दृश्यांकन के साथ वर्णन किया, जिसमें सद्यः जात शिशु- कृष्णा ने बालकृष्ण के रूप में तथा सौरभ सिंह ने वसुदेव के रूप में जन्म की सजीव झांकी प्रस्तुत किया जो भक्तों के कौतूहल का विषय रहा। मंडप में वेदर्षि डा. अमल धारी सिंह, पूर्व विधायक अशोक सिंह,कोलकाता के व्यवसायी कौशल मिश्र ,प्रोफेसर निरंजन राय ,पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक शंकर दयाल त्रिपाठी ,अंबुज दीक्षित, विमलेश अग्निहोत्री,हरेश त्रिपाठी, खन्ना जी , लंबू बाजपेई, पुरुषोत्तम सिंह(महाराष्ट्र),रामगुलाम सविता ,राकेश पांडे, महेंद्र सिंह ,रामानंद सिंह ,रामकरण सिंह ,उमेश सिंह ,नरेंद्र सिंह राजावत डॉ ओपी सिंह, प्रमुख यजमान डॉक्टर महादेव सिंह, दीपक सिंह ,महेंद्र प्रताप सिंह, गौरव सिंह ,मोहन सिंह आदि समेत भारी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।